सर्किट के सीने में हुई
गड़बड़ का असर
उपकरण पर भी
समान रूप से पड़ा
लेकिन इन दोनों के बीच
बेचारा वायर
अकारण ही सड़ा।
तार बेचारा
सदैव अपना कार्य
सुचारू रूप से करता है
लेकिन जब भी कुछ प्रॉब्लम होती है
तो उसको जलना ही पड़ता है।
रिश्तों के कनेक्शन में हुए
झगड़ों के शॉर्ट-सर्किट से
विश्वास का वायर जल जाता है
और वक़्त का मैकेनिक
उपकरण और सर्किट को बचाने के लिये
बीच के वायर को बदल जाता है।
✍️ चिराग़ जैन
गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Friday, July 11, 2003
Tuesday, July 8, 2003
सूरज
फिर अंधेरा निगल गया सूरज
फिर चिराग़ों को खल गया सूरज
चंद पहरों की ज़िन्दगानी में
कितने चेह्रे बदल गया सूरज
गर हुआ ऑंख से ज़रा ओझल
लोग कहते हैं ढल गया सूरज
रात गहराई तो समझ आया
सारी दुनिया को छल गया सूरज
आज फिर रोज़ की तरह डूबा
कैसे कह दूँ सँभल गया सूरज
✍️ चिराग़ जैन
फिर चिराग़ों को खल गया सूरज
चंद पहरों की ज़िन्दगानी में
कितने चेह्रे बदल गया सूरज
गर हुआ ऑंख से ज़रा ओझल
लोग कहते हैं ढल गया सूरज
रात गहराई तो समझ आया
सारी दुनिया को छल गया सूरज
आज फिर रोज़ की तरह डूबा
कैसे कह दूँ सँभल गया सूरज
✍️ चिराग़ जैन
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