मैं जहाँ भी रहूँ मुझको ख़ुशी मिल जाएगी
बस मेरे गीत गुनगुना के मुस्कुरा देना
जब मेरे गीत इस जहान के काबिल न रहें
नए नग़मे सजा लेना मुझे भुला देना
✍️ चिराग़ जैन
गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Thursday, April 22, 2004
Saturday, April 3, 2004
भगवान महावीर
जो क़ामयाब हो जाए ज़रा, वो बदगुमान हो जाता है
जो फूल गया सत्तामद में, मूरख समान हो जाता है
जो लक्ष्मी के पीछे भागे, वो अर्थवान हो जाता है
लक्ष्मी जिसके पीछे भागे वो वर्द्धमान हो जाता है
✍️ चिराग़ जैन
जो फूल गया सत्तामद में, मूरख समान हो जाता है
जो लक्ष्मी के पीछे भागे, वो अर्थवान हो जाता है
लक्ष्मी जिसके पीछे भागे वो वर्द्धमान हो जाता है
✍️ चिराग़ जैन
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