तेरे मन में भी इक इरादा है
मेरे मन में भी इक इरादा है
वक्त क़ी आंधियाँ बताएंगीं
कौन मजबूत कितना ज्यादा है
© चिराग़ जैन
गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Tuesday, September 30, 2008
Thursday, September 18, 2008
प्रेम के रंग से निखारो
जैसा चाहो जवाब दो इसको
दुनिया ऐसा सवाल है यारो
प्रेम के रंग से निखारो तो
दुनिया ऐसा सवाल है यारो
प्रेम के रंग से निखारो तो
ज़िन्दगी बेमिसाल है यारो
© चिराग़ जैन
© चिराग़ जैन
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मुक्तक
Monday, September 15, 2008
इश्क़
उम्र के इक पड़ाव पर जाकर
इश्क़ सबको दुलारता होगा
कभी चेहरा निहारता होगा
कभी गेसू संवारता होगा
© चिराग़ जैन
इश्क़ सबको दुलारता होगा
कभी चेहरा निहारता होगा
कभी गेसू संवारता होगा
© चिराग़ जैन
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