Friday, February 13, 2009

अनदेखी

देर तक देखता रहा मैं
एक बिन्दु को
आशा भरी नज़रों से
लगातार।

उतनी ही देर तक
तकती रहीं
दो आँखें
छलछलाती हुईं
मुझे भी!

✍️ चिराग़ जैन