Sunday, March 15, 2009

कोशिश

मैं ‘मन’ लिखने की
कोशिश करता हूँ
....सिर्फ़ कोशिश।

कभी इसका मन
कभी उसका मन
कभी सबका मन
...और कभी-कभी
अपना भी मन।

इतना ही समझ आता है मुझे
कि ‘कोशिश’
और ‘कामयाबी’
उर्दू ज़ूबान के
दो अलग-अलग अलफ़ाज़ हैं!

© चिराग़ जैन