Friday, October 11, 2002

मन में श्रद्धा हो तो

प्रेमी को प्रेमी का होना भर ही काफ़ी होता है
मन में श्रद्धा हो तो इक पत्थर ही काफ़ी होता है
ग़ैरों के संग रहना महलों में भी रास न आएगा
अपनापन मिल जाए तो कच्चा घर ही काफ़ी होता है 

© चिराग़ जैन

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