हमने देखे हैं कई साथ निभाने वाले
बरगला लेंगे तुझे भी ये ज़माने वाले
बारिशों में ये नदी कैसा कहर ढाती है
ये बताएंगे तुझे इसके मुहाने वाले
धूप जिस पल मिरे आंगन में उतर आएगी
और जल जाएंगे दीवार उठाने वाले
मौत ने ईसा को शोहरत की बुलंदी बख्शी
ख़ाक़ में मिल गए सूली पे चढ़ाने वाले
रास्ते सच के बहुत तंग, बहुत मुश्क़िल हैं
सोच ले ये भी ज़रा जोश में आने वाले
अपनी ऑंखों को भी सिखला ले हुनर धोखे का
झूठी बातों से हक़ीक़त को छिपाने वाले
© चिराग़ जैन
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