Sunday, May 2, 2004

हमने देखे हैं कई साथ निभाने वाले

हमने देखे हैं कई साथ निभाने वाले
बरगला लेंगे तुझे भी ये ज़माने वाले

बारिशों में ये नदी कैसा कहर ढाती है
ये बताएंगे तुझे इसके मुहाने वाले

धूप जिस पल मिरे आंगन में उतर आएगी
और जल जाएंगे दीवार उठाने वाले

मौत ने ईसा को शोहरत की बुलंदी बख्शी
ख़ाक़ में मिल गए सूली पे चढ़ाने वाले

रास्ते सच के बहुत तंग, बहुत मुश्क़िल हैं
सोच ले ये भी ज़रा जोश में आने वाले

अपनी ऑंखों को भी सिखला ले हुनर धोखे का
झूठी बातों से हक़ीक़त को छिपाने वाले

© चिराग़ जैन

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