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Thursday, May 12, 2005
जीवन दर्शन
मुझे गुलमोहरों के संग झरना आ गया होता किसी छोटे से तिनके पर उबरना आ गया होता तो मरते वक़्त मेरी आंख में आँसू नहीं होते कि जीना आ गया होता तो मरना आ गया होता
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