Saturday, February 11, 2006

मुहब्बत हार जाती है

दिलों में पल रही चाहत सदा बेकार जाती है
भला सोहनी कहाँ कच्चे घड़े पर पार जाती है
वो लैला का फ़साना हो या फिर मेरी कहानी हो
मुक़द्दर जीत जाता है, मुहब्बत हार जाती है

© चिराग़ जैन

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