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Monday, March 13, 2006
हम हाथ मल रहे हैं
हमको हमारे ऐसे हालात खल रहे हैं रग-रग में बेक़ली के सागर मचल रहे है उनकी झिझक ने इतना लाचार कर दिया है सब हाथ में है फिर भी, हम हाथ मल रहे हैं
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