Friday, January 25, 2008

तेरी दुश्मनी भी क़माल है

न जहाँ में तेरा जवाब है, न नज़र में तेरी मिसाल है
तेरी दोस्ती भी क़माल थी, तेरी दुश्मनी भी क़माल है

क्या हसीन खेल है ज़िन्दगी, कभी ग़मज़दा, कभी ख़ुशनुमा
कभी एक उम्र का ग़म नहीं, कभी एक पल का मलाल है

मेरी सोच बदली तो साथ ही, मेरी ज़िन्दगी भी बदल गई
कभी मुझको उसका ख़याल था, कभी उसको मेरा ख़याल है

ज़रा ये बता दे कहाँ गईं, तेरी दोस्ती, तिरी उल्फ़तें
मुझे अपने ग़म से गरज़ नहीं, तेरी रहमतों का सवाल है

तेरी राह मुझसे बदल गई, कि ये वक़्त थोड़ा बदल गया
तब दूर जाना मुहाल था, अब साथ रहना मुहाल है

© चिराग़ जैन

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