विवाद होने से अधिक निराशाजनक है, व्यवहार समाप्त हो जाना!
© चिराग़ जैन
गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Monday, December 20, 2010
Friday, December 17, 2010
कैमरा
ख़ुद अन्धेरे में रहकर ही
प्रकाशित करता है औरों को
...कैमरा।
लेकिन जैसे ही कोई किरण
रौशन करने आती है
कैमरे को...
...तो इसे
अंधियारी लगने लगती है
सारी दुनिया।
बिल्कुल इंसान की तरह है
कैमरा भी
...ओछा कहीं का!
© चिराग़ जैन
प्रकाशित करता है औरों को
...कैमरा।
लेकिन जैसे ही कोई किरण
रौशन करने आती है
कैमरे को...
...तो इसे
अंधियारी लगने लगती है
सारी दुनिया।
बिल्कुल इंसान की तरह है
कैमरा भी
...ओछा कहीं का!
© चिराग़ जैन
Thursday, December 9, 2010
लक्ष्मी पूजन के समय आतिशबाज़ी
एक ख़बर- वाराणसी में गंगा आरती के दौरान बम धमाका!
टिप्पणी- कभी दीवाली मनाई हो तो पता चले, लक्ष्मी पूजन के समय आतिशबाज़ी नहीं की जाती.
© चिराग़ जैन
टिप्पणी- कभी दीवाली मनाई हो तो पता चले, लक्ष्मी पूजन के समय आतिशबाज़ी नहीं की जाती.
© चिराग़ जैन
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