Wednesday, June 20, 2012

रौशनी

जब कोई शख़्स
कोशिश करता है
सूरज से
आँख मिलाने की

तो केवल
आँखें ही नहीं चुंधियाती

त्यौरियाँ भी
पड़ जाती हैं
माथे पर!

© चिराग़ जैन

Saturday, June 9, 2012

करीने की बात

मरने की बात हो चुकी जीने की बात कर
गाली-गलौज छोड़, करीने की बात कर
सीने के नाप से ये सियासत न चलेगी
अब आम आदमी के पसीने की बात कर

✍️ चिराग़ जैन

Friday, June 8, 2012

प्रमाण

इससे पहले कि लोग तुम्हें कंधा दें,
…तुम उनको अपने जीवित होने का प्रमाण दे दो।
- चिराग़ जैन

Sunday, June 3, 2012

हम विकसित हुए

आज़ादी से पहले 
इस देश में पर्दा प्रथा थी

फिर कुछ लोगों ने आन्दोलन चलाए, 
हम विकसित हुए
...पर्दे ग़ायब हो गए।

फिर देश आज़ाद हुआ, 
हम और विकसित हुए
स्लीवलेस का ज़माना आ गया।

फिर बड़े-बड़े शहर बसे, 
हम और विकसित हुए
लडकियों ने दुपट्टे लेने बंद कर दिए।

आज मॉल कल्चर में देखता हूँ
एक चोगा सा पहनती हैं, 
नीचे से सलवारें ग़ायब।

इस पूरे आकलन पर 
एक टिपण्णी करना चाहता हूँ-
"ग़रीबी 
आदमी के कपड़े उतरवा लेती है, 
और अमीरी औरतों के।" 

-चिराग़ जैन