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Friday, September 26, 2014
पीड़ा जगनी थी
अन्तस् में पीड़ा जगनी थी, यह निर्धारित था ठेस अपेक्षा से लगनी थी, यह निर्धारित था रत्ना तो बस बानक भर थी, पूरे किस्से में तुलसी को मानस् रचनी थी, यह निर्धारित था
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