Sunday, December 28, 2014

इन्ट्यूशन

अक्सर
पहले ही
आभास हो जाता है मुझे
किसी संबंध के
दरकने का।

और हर बार
देर तक पछताने के बाद
संतुष्ट हो जाता हूँ मैं
कि आख़िर
सही निकला मेरा अनुमान।

© चिराग़ जैन

Saturday, December 27, 2014

एक काॅलम हादसा

कौन सोचे किन चनों के साथ कितना घुन पिसा
जी रही है दामिनी या मर रही महरुन्निसा
आज तो अख़बार की दरकार है केवल यही
सात काॅलम सनसनी और एक काॅलम हादसा

© चिराग़ जैन

Thursday, December 18, 2014

पेशावर की चीख़

ढेर सा है
स्कूल के इक रूम में
बच्चों के बस्तों का
और उन बस्तों के बच्चों का!

धूल में लथपथ
कोई आदिल कभी जब
स्कूल से घर लौटता था
तो वो अम्मी की ढेरों गालियों से
होके कमरे तक पहुँचता था
आज वो आँगन में है
और खून से लथपथ
मगर अम्मी के होंठों से
कोई अल्फाज़ गिरता ही नहीं है।
उसे कुछ बोल दे अम्मी
तो वो चुपचाप अपने कमरे में जाए
ज़रा आराम कर ले।

बहुत गुस्से में थे
अल्ताफ के अब्बू
मेरे बेटे के मातम में
मुहल्ले भर से कोई भी नहीं आया।
फिर अपने दोनों घुटनों पर
टिकाकर हाथ
गो उठते हुए बोले-
अरे वो भी सब भी तो
अपने घरों के
मातमों की फ़िक्र में मसरूफ़ होंगे।

अमां जेहादियों
तुमने तो अपनी गोलियों से
जिस्म छलनी कर दिया अल्लाह का भी।
तुम अपने मकसदों से अब बहुत आगे निकल आये
तुम्हारे नाम से अब खौफ़ क्या
नफरत पनपती है।

तुम्हारी प्यास का चारा
क्या केवल खून है
पानी नहीं है
ये हरक़त
नौनिहालों को ज़िबह करने की
बचकानी नहीं है।

ख़ुदा की रहमतों की बात छोड़ो
ख़ुदा तुमको कहर के भी नहीं लायक समझता है
तुम्हें जिस बाप ने पैदा किया
वो खुद को नालायक समझता है

-चिराग़ जैन

Wednesday, December 17, 2014

अल्लाह हमारे साथ है

जेहादियों ने कहा- 
"अल्लाह हमारे साथ है"
बच्चों ने कहा- 
"अल्लाह हमारे साथ है"

फिर ज़ेहादियों की बंदूकों ने
सैंकड़ों मासूम 
मौत के घाट उतार दिए
फिर ज़ेहादी ख़ुद को शहीद मानकर 
अल्लाह के पास गए
वहाँ अल्लाह नहीं मिला
उसका लहूलुहान जिस्म मिला
उसके जिस्म में गोलियाँ लगी थीं
...जेहादियों की।

© चिराग़ जैन

Saturday, December 13, 2014

अब कुछ सफ़ाई हो

जानते हैं
मोदी जी के स्वच्छता अभियान की गाड़ी
पिक-अप क्यों नहीं ले रही
क्योंकि जिस देश में कभी
दूध की नदियाँ बहती थीं
वहाँ दूध की थैलियाँ
नदियों को बहने नहीं दे रही।

शहरों से गाँवों तक
मस्तक से पाँवों तक
मेलों से ठेलों तक
रेलों से जेलों तक
खेलों से झूलों तक
कॉलेज से स्कूलों तक
फ़िल्मों से चैनल तक
एंकर से पैनल तक
नारों-विचारों तक
ख़त से अख़बारों तक
सब्ज़ी से राशन तक
रैली से भाषण तक
पर्ची से चंदे तक
सेवा से धंधे तक
कूड़ा ही कूड़ा है
जर्जर इक मूढ़ा है
जिस पर हम बैठे हैं
बिन कारण ऐंठे हैं
दर्द की दवाई हो
बात ना हवाई हो
अल्लाह दुहाई हो
अब कुछ सफ़ाई हो

-चिराग़ जैन

सफ़ाई अभियान

बेकार की बात है श्रीमान
मोदी जी को क्या पता
किसे कहते हैं सफ़ाई अभियान

सफ़ाई अभियान के प्रति,
सबसे ज़्यादा गंभीर हैं
हमारे देश के पति।
जिन्हें घर में घुसने से पहले
साफ़ करनी पड़ती है
मोबाइल की कॉल डिटेल,
कम्प्यूटर छोड़ने से पहले
साफ़-सुथरी बनानी पड़ती है
अपनी ई-मेल।
अरे साहब
झाड़ू उठाकर सफ़ाई करने को
हम बड़ा काम कैसे मानें,
पत्नी के प्रश्नव्यूह से
साफ़ निकल कर दिखाओ
तो जानें।

-चिराग़ जैन