गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Sunday, December 28, 2014
इन्ट्यूशन
अक्सर पहले ही आभास हो जाता है मुझे किसी संबंध के दरकने का।
और हर बार देर तक पछताने के बाद संतुष्ट हो जाता हूँ मैं कि आख़िर सही निकला मेरा अनुमान।
No comments:
Post a Comment