बिहार में नये मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे विकास को सबसे ऊपर रखेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी कहा था कि वे विकास को सबसे ऊपर रखेंगे। हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल, तेलांगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने भी कहा कि हम विकास को सबसे ऊपर रखेंगे। प्रधानमंत्री जी ने भी हमेशा यही कहा है कि उन्होंने विकास को सबसे ऊपर रखा है। इस प्रकार विकास इतना ऊपर पहुँच गया है कि दिखाई देना बंद हो गया है। कांग्रेस सरकार ने भी विकास को हमेशा सबसे ऊपर ही रखा। कई बार मुझे लगता है कि विकास बड़ा उधमी है। जैसे ही राजनीति चुनाव में व्यस्त होती है तो आँख बचा कर ज़मीन पर उतर आता है। फिर नई सरकार को आते ही इसे कान पकड़ कर ऊपर रखना पड़ता है। इस मामले में जम्मू-कश्मीर बड़ा भाग्यशाली राज्य है। वहाँ ये साला विकास कितना भी नीचे उतरने की कोशिश करे, लेकिन उसके धरातल तक पहुँचने का ख़तरा पैदा नहीं होता। वैसे वहाँ ये ख़ुद भी आतंकवादियों के डर से वादियों में टहलने नहीं निकलता।
लेकिन बाक़ी पूरे देश में इसे ऊपर रखने के लिये हर सरकार बाक़ायदा मेहनत करती है। मैंने एक बुद्धिजीवी से पूछा कि एक बार सभी दल एकमत होकर इस विकास के बच्चे के हाथ-पैर बांध कर ऊपर क्यों नहीं डाल देते। वे बोले- दरअस्ल विकास एक बालक है, जिसका बहुत पहले अपहरण किया गया था। इसकी सलामती के लिये जनता समय समय पर अपहृताओं को वोट की फ़िरौती देती है। लेकिन फ़िरौती वसूलने के लिये जनता को यह तसल्ली देनी होती है कि आपका विकास हमारे पास पूरा साबुत हालत में मौज़ूद है। इसलिये हर चुनाव में सरकार ख़ुद उसके हाथ-पैर खोल कर उसको नीचे उतारती है और जनता को उसका चेहरा दिखाती है। मुँहदिखाई की रस्म के बाद फ़िरौती का नेग दिया जाता है और नई सरकार फिर से विकास को ताक पर रख देती है।
© चिराग़ जैन
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