Sunday, November 17, 2019

दुःख के दम पर पुजता है तू

दुनिया को भरमाने वाले 
सारा खेल रचाने वाले 
दुःख के दम पर पुजता है तू 
सुख से तुझको डर लगता है 

जग का कर्ता-धर्ता तू है, जग में कष्ट अपार भरे हैं 
पहले तूने पापी भेजे, फिर तूने अवतार धरे हैं 
पहले आग लगाने वाले 
फिर पानी बरसाने वाले 
तेरा, सुख देने के दावा 
कोरा आडम्बर लगता है 
दुःख के दम पर पुजता है तू 
सुख से तुझको डर लगता है 

सब कुछ सहज चले दुनिया में, यह तुझको स्वीकार न होगा 
कष्ट नहीं हो तो दुनिया में, तेरा कारोबार न होगा 
हँसते लोग रुलाने वाले 
दुःख देकर इतराने वाले 
सुख की मांग बढ़ाता फिरता 
तू इक सौदागर लगता है 
दुःख के दम पर पुजता है तू 
सुख से तुझको डर लगता है 

आँसू, पीड़ा, कष्ट, विवशता -इनसे रिश्वत लेता है तू 
सुख के झोला देता है तो, उनमें दुःख रख देता है तू 
सुख के स्वप्न दिखाने वाले 
दुख के पेड़ लगाने वाले 
सबके सुख के परिधानों में 
क्यों दुःख का अस्तर लगता है 
दुःख के दम पर पुजता है तू 
सुख से तुझको डर लगता है 

© चिराग़ जैन

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