Sunday, May 29, 2022

इधर भी है उधर भी

कुर्सी का घमासान इधर भी है, उधर भी 
दो लोगों का गुणगान इधर भी है, उधर भी 

जो डेडिकेट है वो सिर्फ झंडे उठाए 
दल बदलुओं का मान, इधर भी है उधर भी 

जो हाँ में हाँ मिलाए, वही पद पे रहेगा 
सच कहने में नुक़सान इधर भी है, उधर भी

किस्मत न बदल पाओ तो क्यों दल बदल रहे 
सिद्धू तो परेशान इधर भी है उधर भी 

मुफ्ती, पंवार, ठाकरे, अखिलेश या जयंत 
पंजे के संग कमान इधर भी है, उधर भी 

शाहों की ख्वाहिशों पे ही प्यादे निसार हों 
ये खेल का विधान, इधर भी है उधर भी

जिसकी भी घुड़चढ़ी हो वहीं नाच रहे हैं 
दो-चार पासवान इधर भी हैं, उधर भी 

मैं जिनके साथ हूँ वही ईमानदार हैं 
सिब्बल का ये बयान इधर भी है, उधर भी 

~चिराग़ जैन 

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