Saturday, July 6, 2002

आदमीयत का अंदाज़ा

हम मुहब्बत का अंदाज़ा करेंगे
वो हिमाक़त का अंदाज़ा करेंगे

जब तलक दूरियाँ न हों शामिल
कैसे चाहत का अंदाज़ा करेंगे

आदमी को समझ न पाए जो
क्या वो क़ुदरत का अंदाज़ा करेंगे

दौरे-ग़म में कहे कोई कुछ भी
सब नसीहत का अंदाज़ा करेंगे

आदमी ज़िब्ह करने वाले ही
आदमीयत का अंदाज़ा करेंगे

ख़ुद ही आफ़त बुलाएंगे और फिर
ख़ुद ही राहत का अंदाज़ा करेंगे

जब भी बेबाक़ सच कहेंगे हम
वो बग़ावत का अंदाज़ा करेंगे

हम तो अपना समझ के कह देंगे
सब तिज़ारत का अंदाज़ा करेंगे

लोग मेरी हरेक हरक़त से
मिरी फितरत का अंदाज़ा करेंगे

© चिराग़ जैन

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