Thursday, January 23, 2003

सुभाष चंद बोस

जिनकी धमनियों में डोलता था ज्वालामुखी
मात-भारती के क्रांति-कोष कहाँ खो गए
राष्ट्र-स्वाभिमान वाली मदिरा का पान कर
होते थे जो लोग मदहोश; कहाँ खो गए
जिस सिंह-गर्जना से बाजुएँ फड़कतीं थीं
इन्क़लाब वाले जय-घोष कहाँ खो गए
देश को आज़ादी की अमोल सम्पदा थमा के
नेताजी सुभाष चन्द बोस कहाँ खो गए

© चिराग़ जैन

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