Wednesday, November 12, 2003

गीत गढ़ने का हुनर

मसख़रों की मसख़री अपनी जगह
शायरों की शायरी अपनी जगह
गीत गढ़ने का हुनर कुछ और है
मंच की बाज़ीगरी अपनी जगह

© चिराग़ जैन

No comments:

Post a Comment