Thursday, March 3, 2005

परिवर्तन

जब से हम करने लगे बात-बात में जंग
तब से फीके पड़ गए त्यौहारों के रंग
धुआँ-धुआँ सा रह गया दीपों का त्यौहार
शोर-शराबा बन गया होली का हुड़दंग 

© चिराग़ जैन

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