Thursday, January 19, 2006

ख़ूब रोता हूँ

मैं अब जिन दोगलों के बीच रह कर ख़ूब रोता हूँ
मैं उनसे देर तक लम्बी ज़िरह कर ख़ूब रोता हूँ
मेरी मासूमियत तो बहुत पहले मर चुकी लेकिन
मैं सच बतलाऊँ अब भी झूठ कह कर ख़ूब रोता हूँ

© चिराग़ जैन

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