इक छोटी-सी लाडली, बड़ी हुई है आज
विदा समय बाबुल कहे, जोड़े दोनों हाथ
मेरी लाज बंधी हुई, बिटिया तेरे साथ
मेरी लाज बंधी हुई, बिटिया तेरे साथ
बिन कारण ताने सहे, बिन मतलब संत्रास
पर उसने तोड़ा नहीं, बाबुल का विश्वास
पर उसने तोड़ा नहीं, बाबुल का विश्वास
बाबुल तेरी देहरी, जब से छूटी हाय।
तब से मन की बात बस, मन ही में रह जाय
तब से मन की बात बस, मन ही में रह जाय
दो नावों में ही रहें, बिटिया के दो पाँव
ना ये अपना घर हुआ, ना वो अपना गाँव
ना ये अपना घर हुआ, ना वो अपना गाँव
सहना, घुलना, सिसकना, सुनना बात तमाम
बिटिया के ससुराल में, कितने सारे काम
बिटिया के ससुराल में, कितने सारे काम
अब तू करना सीख ले, सब के संग निबाह
माँ ऑंखें भर-भर कहे, भरियो नहीं कराह
माँ ऑंखें भर-भर कहे, भरियो नहीं कराह
चिड़िया जब दुलहिन बनी, पेड़ हुआ कंगाल
सूनी-सूनी सी लगे, झूले बिन हर डाल
© चिराग़ जैन
सूनी-सूनी सी लगे, झूले बिन हर डाल
© चिराग़ जैन
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