अपना तिरंगा एक परचम ही नहीं है
भावनाओं की बहार-सी है तीन रंग में
छोटे-छोटे बालकों के अधरों पे बिखरी जो
वही एक पावन हँसी है तीन रंग में
प्रेम, त्याग, एकता, अखण्डता, समानता से
ओत-प्रोत आत्मा बसी है तीन रंग में
खादी वाले मोटे रेशों का ही ताना-बाना नहीं
भारत की एकता कसी है तीन रंग में
© चिराग़ जैन
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