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Tuesday, December 9, 2008
रिस्क
मेरे भीतर दौड़ना चाहती है इक नदी दरदरे रेगिस्तान की ओर।
मस्तिष्क ने कहा- "रिस्क है इसमें।"
मन बोला- "जुआ ही तो है या तो लहलहा उठेगा रेगिस्तान या दरदरा जाएगी नदी!"
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