गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Wednesday, June 24, 2009
समाधान
बहुत समझदार हो तुम! जब कभी उदासी का आँचल ओढ़कर जवान होने लगता है मेरा कोई दर्द तो चुपचाप बिना किसी शोर-शराबे के कंधा देकर …पहुँचा आते हो उसे वहाँ …जहाँ से लौट नहीं पाया कोई आज तक!
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