Friday, January 1, 2010

प्लानर

रात के सन्नाटे में
‘प्लानर’ लेकर बैठा।
सोचा, कुछ सुनियोजित कर लूँ
अपने काम-धाम!

घण्टे-सवा घण्टे तक
पृष्ठ दर पृष्ठ
लिखता रहा
प्रोजेक्ट्स और पेंडिंग्स!

…तभी
सन्नाटे को चीरती हुई
मेरे कानों में गूंजी
किसी कुत्ते के रोने की आवाज़…

…और मैंने
एक मद्धम-सी कँपकँपी के साथ
बन्द कर दिया प्लानर!

© चिराग़ जैन

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