Wednesday, October 26, 2011

फ़र्क

इतना-सा फ़र्क है
अंधियार और उजियारे में...

...कि अंधियारा
हाथों में उठाकर
किसी को
भेंट नहीं किया जा सकता!

...कि अंधियार को
हाथों में समेटने के लिए
मुट्ठी बंद करनी होती है

और उजियारा
अंजुरी बना देता है
हथेलियों को!

...कि अंधियारा
सीमित करता है
और उजियारा
सीमाओं पर छा जाता है
असीम होकर।

© चिराग़ जैन

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