अंधियार और उजियारे में...
...कि अंधियारा
हाथों में उठाकर
किसी को
भेंट नहीं किया जा सकता!
...कि अंधियार को
हाथों में समेटने के लिए
मुट्ठी बंद करनी होती है
और उजियारा
अंजुरी बना देता है
हथेलियों को!
...कि अंधियारा
सीमित करता है
और उजियारा
सीमाओं पर छा जाता है
असीम होकर।
© चिराग़ जैन
अंजुरी बना देता है
हथेलियों को!
...कि अंधियारा
सीमित करता है
और उजियारा
सीमाओं पर छा जाता है
असीम होकर।
© चिराग़ जैन
No comments:
Post a Comment