अजीब सी
पशोपेश में रहता हूँ आजकल
तुम
और कविता
दोनों ही मांगती हैं वक़्त!
मैं घण्टों बतियाता हूँ
तुमसे
और भीतर ही भीतर
घुटती रहती है कविता।
आज अचानक
पूछ लिया तुमने-
"क्या बात है
बहुत दिनों से
कोई
नई कविता नहीं सुनाई?"
मैंने कहा-
"कल सुनाऊंगा।
आज ही किसी ने
दिल दुखाया है।"
© चिराग़ जैन
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