Monday, November 21, 2011

नई कविता

अजीब सी
पशोपेश में रहता हूँ आजकल

तुम
और कविता
दोनों ही मांगती हैं वक़्त!

मैं घण्टों बतियाता हूँ
तुमसे
और भीतर ही भीतर
घुटती रहती है कविता।

आज अचानक
पूछ लिया तुमने-
"क्या बात है
बहुत दिनों से
कोई
नई कविता नहीं सुनाई?"

मैंने कहा-
"कल सुनाऊंगा।
आज ही किसी ने
दिल दुखाया है।"

© चिराग़ जैन

No comments:

Post a Comment