Friday, February 17, 2012

टोटका

बहुत उपजाऊ है
मेरे दिल की मिट्टी।
पनप जाता है
हर बीज
आसानी से।

बहुत आसानी से
फूट पड़ता है अंकुर,
बहुत आसानी से
द्विदल होता है बीज,
...लाल-लाल कोंपलें
......ताज़ा हरापन।

कभी ओस नहाई पत्तियाँ
तो कभी
गुपचुप बतियाती
डालियाँ।

कुछ पौधों पर
आ जाता है
बौर भी...
...लेकिन किसी डाल ने
कभी नहीं किया
फल का शृंगार...!

...शायद
कोई टोटका कर देता है
मेरी हरियाली पर!

© चिराग़ जैन

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