गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Sunday, April 29, 2012
बेमानी
बहुत दिन से इंतज़ार था एक ख़ास यात्रा का मुश्क़िल से हाथ आया यात्रा का अवसर घर से निकला उत्साह से आपूरित कुछ ही दूर पहुँचा कि मोबाइल पर एस एम एस आया- ”सुनो! जल्दी आना...“ ...और मुझे बेमानी लगने लगी हर उपलब्धि।
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