Sunday, April 29, 2012

बेमानी

बहुत दिन से इंतज़ार था
एक ख़ास यात्रा का
मुश्क़िल से हाथ आया
यात्रा का अवसर
घर से निकला
उत्साह से आपूरित
कुछ ही दूर पहुँचा
कि मोबाइल पर
एस एम एस आया-
”सुनो! जल्दी आना...“
...और मुझे बेमानी लगने लगी
हर उपलब्धि।

© चिराग़ जैन

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