Sunday, September 30, 2012

जलोकड़ा

मौसम के मूड को
तपा डालता है सूरज
आग की तरहं
ठण्डी हवा को
बना डालता है लू।

हरे पत्ते
हो जाते हैं ज़र्द
देख ही नहीं पाता
किसी का सुख
जलोकड़ा कहीं का!

✍️ चिराग़ जैन

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