अनाज उछालती माँ
डाँट देती थी मुझे
जब मैं कोशिश करता था
उछलते अनाज को
छू लेने की।
डाल पर बैठी चिड़िया
फुर्र से उड़ जाती थी
जब मैं उचकता था
उसे छूने के लिए।
कई बार मन करता है
तुमको छूने का।
लेकिन डर लगता है
कहीं तुम अनाज न निकलो!
कहीं तुम चिड़िया न निकलो!
© चिराग़ जैन
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