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Monday, April 18, 2005
चांद का किरदार
एक पल सूरज छिपा और फिर उजाला हो गया लेकिन इसमें चांद का किरदार काला हो गया साज़िशें सूरज निगलने की रची थीं चांद ने पर वो अपनी साज़िशों का ख़ुद निवाला हो गया
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