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Saturday, October 11, 2014
करवा चौथ
देख-देख कर सोचता, चाँद धरा से दूर। आज छतों पर आ गया, सारे जग का नूर।।
करवे से जब अर्घ्य का, निभने लगा रिवाज़। चन्द्रलोक तक बज उठा, जलतरंग सा साज।।
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