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Sunday, June 28, 2015
लकीरें ग़ायब हैं
जब से कंधों पर कुछ भार पड़ा, तब से हाथ बंधे हैं और ज़जीरें ग़ायब हैं
जिसने सख़्त ज़मीं पर चलकर देख लिया उसकी बातों से तहरीरें ग़ायब हैं
जाने कैसे तुमने हाथ मिलाया है हाथों की कुछ ख़ास लकीरें ग़ायब हैं
बस आईने लटके हैं दीवारों पर और आईनों से तस्वीरें ग़ायब हैं
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