Thursday, December 31, 2015

अलविदा 2015

दो हज़ार पन्द्रह में किसने कैसा-कैसा किया कमाल
पाँच मिनिट में दिखलाता हूँ आओ तुमको पूरा साल
शुरू हुआ जब साल तो बीजेपी के दिल पर था कुछ भार
भूल नहीं पाए थे मोदी काश्मीर की आधी हार
लेकिन तभी पढ़ा मोदी ने ऐसा इक अमरीकी मंत्र
अतिथि बनकर आए ओबामा झूम उठा अपना गणतंत्र
गली-गली घूमे मोदी जी, ओबामा का थामे हाथ
करी रेडियो स्टेशन पर नए यार से मन की बात
विदा हुए ओबामा जिस पल उस पल आ पहुँचा चुनाव
अमित शाह ने झोंक दिया सब बीजेपी का लश्कर लाव
गली-गली में रैली करके मोदी जी ने मांगे वोट
लेकिन दिल्ली की जनता ने किया गज़ब का ही विस्फोट
कजरी की खांसी सुन ली पर नहीं सुनी मोदी की बीन
झाडू वाले सड़सठ आए बीजेपी के केवल तीन
पहली बार हुई भारत में राजनीति की ऐसी रेस
खाता तक भी खोल नहीं पाई राहुल जी की कांग्रेस
अच्छे दिन बीते तो आया ऐसा इक चैतरफ़ा खोट
जख़्मों में मिर्ची-सा लागा मोदी का लखटकिया कोट
अभी ठीक से थमा नहीं था दिल्ली वाला ये हड़कंप
उधर आ गया काठमांडु में दर्दनाक भीषण भूकंप
पशुपति की नगरी में ऐसा तांडव करती नाची मौत
धरती की इक करवट बन गई मानव की ख़ुशियों की सौत
हार गई पर मौत, देखकर मानवता का साथी भाव
सारी दुनिया मरहम लेकर भरने पहुँच गई जब घाव
इधर रंग लाया दिल्ली में रामदेव का बिज़निस जोग
पीएम ने जब किया राजपथ पर जाकर बाबा का योग
योग दिवस की धूम मच गई गूंज उठा दुनिया का व्योम
अमरीका अनुलोम कर रहा, रूसी उसका ठीक विलोम
नाॅर्थ-ईस्ट में इक दिन आई, इक ऐसी दुखियारी शाम
खड़े-खड़े अशरीर हो गए, डाॅक्टर एपीजे कलाम
इसी बीच हम सबने देखा न्याय नीति का अद्भुत मेल
दो घंटे में हाईकोर्ट से सलमानों को मिल गई बेल
मुम्बई हमलों के दोषी की दया याचिका हो गई फेल
शुरू हुआ फिर भारत भर में धर्म-सम्प्रदायों का खेल
शर्म आ रही है कहने में ऐसी घटिया ओछी बात
हत्यारे की रक्षा करने लगी अदालत आधी रात
उधर दादरी में छोरों ने गौरक्षा का चोला ओढ़
लगा दिया पूरे भारत को हिन्दू-मुस्लिम वाला कोढ़
हिन्दू-मुस्लिम, सपा-भाजपा से पाई भी ना थी पार
तभी सड़क पर आरक्षण का ढोल पीट गए पाटीदार
आसमान में जाकर बैठी, ऐसी तनकर तूअर दाल
आम आदमी सन्न रह गया, चांदी काटे फिरे दलाल
सहनशीलता के मुद्दे पर यकदम ऐसा उठा बवाल
सम्मानों को वापिस करने दौड़ पड़े वाणी के लाल
सहिष्णुता का डंका पिटते.पिटते हो गई काफी देर
दिल्ली में रैली करने आए ख़ुद चलकर अनुपम खेर
दुश्मन को कमज़ोर मानने की फिर से कर ली मिस्टेक
छोटे-मोटे, टेढ़े-मेढ़े सभी विरोधी हो गए एक
मोदी देख तलक़ ना पाए, इन सब बातों का रेफरेंस
पटना में रपटा औंधे मुँह अमित शाह का काॅन्फिडेंस
लालू ने मोदी को पटका, धरे रह गए सारे ठाठ
सांठगांठ ने उम्मीदों को दी चैड़े में धोबीपाट
टूट गए सब टिके हुए थे न्यायालय पर जो अरमान
हत्याओं के इल्ज़ामों से पूरे छूट गए सलमान
दिल्ली के सचिवालय में अब रहे केजरी खुलकर खाँस
लोकपाल फिर लटक गया पर वेतन का बिल हो गया पास
समझ लिया है स्वयं केजरी ने ख़ुद को ही सैमी गाॅड
पाॅल्यूशन पर रोक लगाने को ले आए ईवन-आॅड
लेकिन विचलित नहीं कर सका है पीएम को कोई कलेश
मोदी जी ने घूम लिए हैं छप्पन दिन में बाईस देश
मेमन, दाउद, काला धन और डाॅलर, सोना, कच्चा तेल
संथारा, पर्यूषण, अरहर, हिन्दू, मुस्लिम, जाट, पटेल
सिंगापुर, बैंकाॅक, बनारस, फ्रांस, जर्मनी, गांधीधाम
सारे मुद्दे फीके पड़ गए, साल रहा मोदी के नाम

© चिराग़ जैन

Wednesday, December 30, 2015

सब कुछ सामान्य है

कल NDTV पर दिल्ली के मुख्यमंत्री जी का साक्षत्कार सुना। "आनंद आ गया" नही कह सकता क्योंकि भाजपाई नाराज़ हो जाएंगे; "सन्न रह गया" भी नहीं कह सकता क्योंकि आपिये नाराज़ हो जाएंगे। थोड़ी देर के लिये कांग्रेसी हो जाता हूँ और माथे पर त्यौरियाँ लिये मद्धम मुस्कान के साथ कहता हूँ - "ये क्या था?"

मुख्यमंत्री जी की भाषा सुनकर क्षोभ ने सिर उठाया, लेकिन मेरे भीतर के आम आदमी ने उसे दबा दिया। जब उन्होंने देश के वित्तमंत्री के लिये भीख मांगने जैसा मुहावरा प्रयोग किया तो भीतर का राष्ट्रवादी उग्र हुआ, लेकिन कॉमन मैन उस पर हावी रहा। जब मुख्यमंत्री जी ने सीबीआई को चैलेंज किया तो न्याय व्यवस्था में विश्वास रखने वाला भारतीय उठ खड़ा हुआ, लेकिन सीबीआई को तोता कहे जाने वाले उद्धरणों की याद दिलाकर मेरे भीतर के तार्किक ने उसे वापस बैठा दिया। उन्होंने एलजी के लिये तू-तड़ाक की भाषा प्रयोग की। मेरा संवैधानिक भारतीय आहत हुआ, लेकिन तुरंत उस शाश्वत वाक्य ने मुझे पेन किलर दी कि- ये बड़े लोगों के चोंचले हैं, मैं इसमें कर भी क्या सकता हूँ।" मुख्यमंत्री जी ने मीडिया को पक्षपाती कहा, मुझे बुरा लगा लेकिन ये सोच कर चुप रह गया कि जब बरखा दत्त कुछ नहीं बोल रहीं तो मुझे क्या।

बरखा जी ने उनसे लालू-नीतिश के समर्थन पर प्रश्न किया, बरखा जी ने उनसे मानहानि के मुक़द्दमे पर प्रश्न किया, वे बात को गोल कर गए। बरखा जी ने कहा भी कि अब आप जवाब नहीं दे रहे हैं, वे मुस्कुराते रहे। बीच-बीच में खांसकर भी उन्होंने महत्वपूर्ण प्रश्नों से ध्यान हटाया। उन्होंने अज्ञात सूत्रों के हवाले से कई ग़ैर-ज़िम्मेदाराना आरोप कई ज़िम्मेदार लोगों पर लगाए। उन्होंने यहाँ तक कहा कि एक पत्रकार के बेटे का लिस्ट में नाम डालने के लिये पत्रकार की बीवी को एक रात बुलाने का एसएमएस भेजा गया। इतने संगीन आयोग पर तो मैं मानो तमतमा उठा, लेकिन आक्रोश के इस अंगारे को जब देश भर के नपुंसक मौन की बर्फ़ ने घेर लिया तो वह भी राख के एक ढेर में तब्दील होकर रह गया।

उन्होंने ढीठताई से ख़ुद को पाक-साफ़ और बाक़ी सबको चोर कहा। मुझे शर्म आई। लेकिन सालों से मीडिया में चलते आ रहे प्राइम टाइम बुलेटिन मेरे सामने आकर खड़े हो गए और शर्म से झुकी मेरी पलकें वापस बेशर्मी के साथ टीवी की ओर देखने लगीं।

इसके बाद कुछ विज्ञापन आए। विज्ञापनों ने बढ़ती हुई रक्तचाप को सामान्य किया। फिर साक्षात्कार जारी हुआ। फिर बीपी हाई होने लगा, लेकिन फिर विज्ञापन आ गए। पूरा साक्षात्कार देखने के बाद, ब्लड प्रेशर के मीटर में हाई और लो के बीच झूलते झूलते अंततः विज्ञापनों को धन्यवाद देते हुए मैं चादर तान कर सो गया। सुबह उठा तो दिन सामान्य था। बीपी नापा तो वह भी सामान्य था। उत्सुक होकर एनडीटीवी लगाया तो उस पर विज्ञापन चल रहे थे। सब कुछ सामान्य है।

-चिराग़ जैन

Sunday, December 27, 2015

दूसरों के जूते में

जब मैंने कोशिश की
दूसरों के जूते में
पैर रखकर सोचने की
तब मुझे एहसास हुआ
कि जूते घिसना बेहतर है
पैर छिलने से।

© चिराग़ जैन

Thursday, December 24, 2015

बाजीराव मस्तानी

बाजीराव मस्तानी देखी। लोग इसे प्रेमकथा समझें लेकिन ये संबंधों के उस दर्शन की कथा है जिसको सहज अनुभूत करना भी मुश्किल है। ये इस बात का प्रमाण है कि हम अक्सर ऐसी स्थिति में जी रहे होते हैं, जहाँ कोई भी शख़्स ग़लत नहीं होता, लेकिन हम अक्सर ये भी मान रहे होते हैं कि सब ग़लत हैं।

फ़िल्म का सबसे बारीक़ और मार्मिक सन्देश ये था कि सारी दुनिया के शत्रुओं के वार झेलना संभव है, शत्रुदल के सम्मुख अकेले उपस्थित होना और उसे जीतना भी संभव है, उफनती नदी में मृत्यु से लोहा लेना भी सरल है लेकिन 'अपनों' के व्यवहार में पल भर का परायापन ऐसा अजेय शत्रु है जिसे परास्त कर सकना सर्वथा असंभव है।

कि भयानक शत्रुओं से लगातार चालीस लड़ाईया जीतने वाले योद्धा को भी अपनों की चार दिन की बेरुख़ी धराशायी कर देती है। 

© चिराग़ जैन

Wednesday, December 23, 2015

नया पड़ोसी

पिछले महीने
नया पड़ोसी आया है।
दुश्मन लगता है
पिछले जन्म का।
कमबख्त
पुराने गानों का शौक़ीन है।
रोज़ रात
दुनिया भर के सोने के बाद
युद्ध शुरू करता है।
कभी रफ़ी, कभी हेमंत, कभी लता।
ख़ुद तो सो जाता है
आध-पौन घंटे में
लेकिन उसे क्या पता
क्या क्या गँवा बैठता हूँ मैं
रोज़ रात।

बदला भी लूँ तो कैसे
उसके लिए तो ये सब
सिर्फ़ लोरी के काम आता है
उसे क्या पता
क्या होता है
जब रेकॉर्ड पर बजता है-
"मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है"

-चिराग़ जैन

Monday, December 21, 2015

बेवफ़ा को इश्क़ हो जाए

कली चटके तो गुलशन से हवा को इश्क़ हो जाए
वफ़ा ऐसी ग़ज़ब हो, बेवफ़ा को इश्क़ हो जाए
इबादत वो कि रब बंदे का दीवाना बना भटके
मुहब्बत वो कि आशिक़ से ख़ुदा को इश्क़ हो जाए

© चिराग़ जैन

Friday, December 18, 2015

या के कीड़े पड़ें.

यही हाल रहा तो कुछ दिन बाद अरविन्द भैया अपने मफलर को साड़ी के पल्लू की तरह पतलून में खोंस कर हाथ हिला हिला कर बोलेंगे- "हाय या के कीड़े पड़ें.....याको नास जाय... मेरौ जीनौ हराम कार्राखो है। जाय आफत पररई है। जे ना मानैगा ...छोरा दामोदर का। हाय लगेगी मेरी हाय... मेरी आत्मान तैं हाय निकलेगी रे....!" 

© चिराग़ जैन

Wednesday, December 16, 2015

उम्र मंदिर जाने की नहीं

राहुल भैया बिना बात ही नाराज़ हो गए। स्वयंसेवकों ने औरतें आगे कर केवल यह याद दिलाने की क़ोशिश की थी कि ये उम्र मंदिर जाने की नहीं, घर बसाने की है। लेकिन स्वयंसेवकों को भी समझना चाहिये था कि जो आदमी बैंकॉक से भी केवल योग कर के लौटा हो उसका संयोग भगवान भी नहीं करा सकता।

© चिराग़ जैन

Saturday, December 12, 2015

शिंजो आबे की भारत यात्रा और बुलेट ट्रेन

अमित शाह - "अबे ओये, हिंदी में बोल"

मोदी - "इसकी भाषा समझने से अच्छा है कि मैं भारतीय रेल की समस्याएं समझ लूँ।"

बाबा रामदेव - "आप पतंजलि की बुलेट ट्रेन क्यों नहीं चलवाते।"

केजरीवाल - "बुलेट में भी ईवन-ऑड सिस्टम लाएंगे। एक दिन दूसरा, चौथा, छठा, आठवां डिब्बा चलेगा; और दूसरे दिन पहला, तीसरा, पांचवां, सातवां औए नौवां। सन्डे को केवल इंजन चलेगा।"

राहुल गांधी - "मम्मी, शिन चैन के भाषण में मोदी जी गाने क्यों सुन रहे हैं।" 

© चिराग़ जैन

Monday, December 7, 2015

पतंजलि

मार्केट में जो सबसे बढ़िया घी है वो बाबा ने बनाया है और पतंजलि का है।
मार्केट में जो सबसे बढ़िया मंजन है वो भी बाबा ने बनाया है और पतंजलि का है।
मार्केट में जो सबसे बढ़िया मैगी है, वो भी बाबा ने ही बनाई है और वो भी पतंजलि की है।
और अब तो हद्द हो गई। बाबा ने एबीपी न्यूज़ में बताया है कि मार्केट में जो सबसे बढ़िया प्रधानमंत्री है वो भी बाबा ने ही बनाया है।
मतलब पतंजलि मैगी की भारी क़ामयाबी के बाद अब पतंजलि मोदी का भी विज्ञापन आएगा।

© चिराग़ जैन