Thursday, February 11, 2016

जेएनयू

दिल्ली की नाक के नीचे ये देश जेएनयू को बर्दाश्त कर रहा है, और कितनी सहिष्णुता चाहिए यार। कोई और मुल्क़ होता तो इमरजेंसी में भर्ती हो गया होता। 
© चिराग़ जैन 


नेहरू जी की ज़्यादा बड़ी ग़लती कश्मीर थी या जेएनयू? 
© चिराग़ जैन 


काश हनुमंथप्पा को कल का जेएनयू प्रकरण टीवी पर दिखा दिया गया होता तो वो वीर जवान धमनियों के जमने के कारण नहीं, शिराओं के उबाल से वीरगति को प्राप्त होता। 
© चिराग़ जैन 


हिंदुस्तान का नसीब भी काली स्याही से ही लिखा है ऊपरवाले ने। अभी सेक्युलर्स से पूरी तरह छूटे नहीं थे कि स्कॉलर्स ने आफ़त कर दी। 
© चिराग़ जैन 

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