ऐसा संवत्सर आया है
बूढ़ा अमुवा बौराया है
छोटी छोटी कैरी आई
झड़बेरी पर बेरी आई
शहतूतों का रंग लाल हुआ
सहजण का पेड़ कमाल हुआ
गेंदा फूला, गुडहल फूला
चिड़ियों ने फिर झूला झूला
पीपल पर कोंपल नई नई
पिलखन पर चिड़िया कई कई
नम हुए सूखते हुए सोत
झूमे तोते, झूमे कपोत
ककड़ी का हरियाला मौसम
आया खीरों वाला मौसम
खरबूजे की मीठी सुवास
तरबूज सजे हैं आसपास
कांजी, नीबू, जलजीरा भी
आम्बी का पना, कतीरा भी
लस्सी, शर्बत, सत्तू, मट्ठा
चुस्की, कुल्फी, चटनी चट्टा
नुक्कड़ पर प्याऊ की मढ़िया
अमराई में बैठक बढ़िया
पिकनिक का मूड बनाया है
छुट्टी से मन हर्षाया है
ऐसा संवत्सर आया है
© चिराग़ जैन
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