हम भारत के लोग संविधान की शपथ लेकर झूठ बोलने में दक्ष हो चुके हैं। हमने इतना विश्वास कमाया है कि जब हम झूठ बोलते हैं तो सब बिना सुने ही समझ जाते हैं कि हम झूठ ही बोल रहे हैं। सब यह भी समझ चुके हैं कि हम किसी भी कीमत पर झूठ बोलना नहीं छोड़ेंगे, इसलिए कोई हमारे झूठ पर ऐतराज भी नहीं करता।
हम भारत के लोग परंपराओं के पोषक हैं। इसलिए हम आज भी जाति, ऊँच-नीच और धर्म के नाम पर बँटे हुए हैं। इस बँटवारे के कारण देश और समाज का बंटाधार होता हो, तो भी हम परंपराओं से मुख मोड़ने वाले नहीं हैं।
हम भारत के लोग परस्पर जुड़े हुए हैं इसलिए अपने दोष देखे बिना दूसरों को दोषी सिद्ध करके प्रसन्न रहते हैं। न्यायालय निर्णय सुनाते हुए प्रशासन को लापरवाह बताकर प्रसन्न है, प्रशासन रिश्वत लेते हुए विधायिका को अपराधी बताकर प्रसन्न है, विधायिका वोट मांगते समय जनता को कामचोर बताकर प्रसन्न है, और जनता कानून तोड़ते समय सबको भ्रष्ट बताकर प्रसन्न है। इस प्रकार हमारा देश एक प्रसन्न राष्ट्र बन चुका है।
हम भारत के लोग कर्मशील हैं, इसलिए हम ऐसी नौकरी की तलाश में रहते हैं जिसमें टेबल के ऊपर और नीचे हर तरफ काम किया जा सके। हम दूसरों को कर्मशील बनाना चाहते हैं अतएव अपनी कर्मण्यता का बखान करने में गर्व की अनुभूति करते हैं।
हम भारत के लोग अपने संविधान तथा तंत्र के प्रति आश्वस्त हैं इसलिए कोई भी अपराध करते हुए निडर रहते हैं। हमारा नेतृत्व तथा मीडिया हमें अपराधी हो जाने के लिए निरंतर प्रेरित करता रहता है। लाखों-करोड़ों रुपयों के घोटाले हमें निरंतर धिक्कारते हैं कि देश के कर्णधार कितना श्रम कर रहे हैं और हम एक अदद कार लोन की भी किश्तें चुकाकर देश के विकास को अवरुद्ध कर रहे हैं।
हम भारत के लोग मंदिर, मस्जिद, गाय, जनेऊ, धर्म, जाति, बुआ, भतीजा, शिवपाल-अखिलेश, उत्तर-दक्षिण, राहुल का धर्म, मोदी की डिग्री और पद्मावती जैसे मुद्दों पर चुनाव करते हैं ताकि विश्व समुदाय को यह संदेश मिले कि हमारे देश में रोटी, कपड़ा, मकान, रोज़गार, सुरक्षा, न्याय, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी जैसी समस्याओं पर पार पा लिया गया है। क्योंकि विश्व समुदाय जानता है कि इन समस्याओं के रहते कोई देश बेमतलब के मुद्दों को तूल नहीं दे सकता। इससे विश्व समुदाय में हमारा सम्मान बढ़ता है।
हम भारत के लोग बेहद भावुक हैं और वर्तमान में जीने में विश्वास रखते हैं। इसलिए किसी भी आतंकवादी घटना के बाद हमें सेना का शौर्य याद आने लगता है। और कुछ ही दिनों में हम चुनाव के खिलवाड़ और नेताओं की गाली-गलौज के चक्कर में व्यस्त होकर सेना को पुनः भुला देते हैं।
हम भारत के लोग देशप्रेमी हैं। इसलिए हर नुक्कड़ पर मोदीभक्त या राहुलभक्त होकर घंटों चर्चा करते हैं। यदि ग़लती से कोई देशभक्त हमारे बीच में बोल पड़े तो उसे कांग्रेस या भाजपा का दलाल सिध्द करने में जुट जाते हैं।
हम भारत के लोग केवल एक प्रश्न स्वयं से कभी नहीं पूछते, कि हमें अपने बच्चों को ईमानदार नागरिक बनने की शिक्षा देनी चाहिए या बेईमान अवसरवादी बनने की?
✍️ चिराग़ जैन
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