Monday, October 28, 2019

हौसला मत छोड़ देना

राह कितनी भी कठिन हो, हौसला मत छोड़ देना 
यह नियत है, हर डगर के अंत में मंज़िल मिलेगी 
जो सफ़र पूरे हुए हैं, उन सभी का हाल पूछो 
हर विजय की राह हर युग में बहुत बोझिल मिलेगी 

राम होने के लिए वन-वन भटकना ही पड़ेगा 
भाई की हत्या बिना सुग्रीव निष्कासित रहेगा 
जो दशानन के सिंहासन पर सुशोभित हो गया है 
वह विभीषण वंशहंता हो के अभिशापित रहेगा 
वीर लक्ष्मण की कथाएँ जब खंगालेगा कोई तो 
राजमहलों के सुखों में घुट रही उर्मिल मिलेगी 

जंगलों को छाँट कर चाहे नगर निर्माण कर लें 
रण बिना पूरा हुआ क्या, पांडवों की जीत का पथ 
द्यूत, लाक्षागृह, कठिन वनवास और फिर दास जीवन 
हर क़दम जर्जर हुआ है न्याय की उम्मीद का रथ 
मौन रहकर भी समय को काटना चाहा कभी तो 
कीचकों के रूप में निश्चित कोई मुश्किल मिलेगी 

भोर की पहली किरण का मार्ग अंधियारा रहेगा 
रात के अंतिम पहर को दीप की झिलमिल मिलेगी 
प्रेम को सारे ज़माने की घृणा सहनी पड़ेगी 
नफ़रतों को हर क़दम पर प्यार की महफ़िल मिलेगी 
जिंदगानी के सफ़र में मौत का साया रहेगा 
मौत को मंज़िल कहा तो, मौत भी तिल-तिल मिलेगी 

© चिराग़ जैन

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