"जब आपके वोट से हम चुनाव जीतेंगे।"
"भैया जी! चुनाव में जीत मुबारक़ हो। अब देश का भला कीजिये!"
"अभी तो जीते हैं यार। चुनावों में रात-दिन काम किया है। साँस तो ले लें।"
"सर जी! आपको चुनाव जीते एक साल हो गया, अब देश का भला कीजिये।"
"विपक्ष ने हमारा जीना मुहाल कर रखा है। रोज़ सरकार के कामकाज पर हंगामा हो रहा है। इनसे निबटना पड़ेगा, तब देश का भला करेंगे।"
"जनाब! सरकार बने दो साल हो गए, अब तो देश...!"
"अरे यार तुम तो पीछे ही पड़ गए। सरकार के पास बहुत काम हैं। इतनी सारी समितियां हैं, इतने सारे विभाग हैं, इतने सारे अफसर हैं। इनसे फुर्सत मिले तब तो कुछ करें।"
"सरकार, तीन साल बीत गए। महंगाई बढ़ रही है, सड़कें टूट रही हैं, ग़रीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी, अपराध से जनता त्रस्त है।"
"तुम बार-बार यहाँ क्यों चले आते हो। अपने गिरेबान में झाँको। सरकार सड़कें बनवाती है, तुम उन्हें तोड़ देते हो। सरकार कहाँ तक करेगी। तुम लोग इस लायक हो ही नहीं कि तुम्हारे लिए कुछ किया जाए। जाओ पहले समाज को जागरूक करो, हर बार मुँह उठा कर सरकार के पास मत आया करो।"
"माई-बाप! एक साल रह गया है आपकी सरकार का। जनता आपसे नाराज़ है। लोगों में ग़ुस्सा है कि आपने जनता के लिए कोई काम नहीं किया।"
"ये सब हमारे ख़िलाफ़ विपक्ष का षड्यंत्र है। हमारी अर्थव्यवस्था बेहतर हुई है। दफ़्तरों में भ्रष्टाचार ख़त्म हो गया है। चारों तरफ़ ख़ुशहाली है। ग़रीब आदमी सुखी हो गया है। पूरी दुनिया में हमारे नाम का डंका बज रहा है। और आप कहते हैं कि सरकार ने काम नहीं किया। यह विपक्ष का फैलाया हुआ भ्रम है।"
"हाँ भई! अब क्यों आए हो? हम तुम्हें वोट नहीं देंगे।"
"आप हमारी विचारधारा के मजबूत स्तम्भ हैं। आप हमसे नाराज़ हो गए तो देश ग़लत हाथों में चला जाएगा। हम आपसे वादा करते हैं कि आपकी सारी शिकायतें दूर कर देंगे।"
"रहने दीजिए, ऐसे वादे आपने पिछली बार भी किये थे।"
"तो ठीक है। दे दीजिए उन लोगों को वोट जो हमारी जाति के विरोधी हैं। बैठा दीजिये उन्हें कुर्सी पर जो हमारे धर्म के दुश्मन हैं। होने दीजिए देश को ग़ुलाम। आप देश की हानि से पहले अपने स्वार्थ की सोचते हैं। हमें शर्म आती है कि आप जैसे लोगों के लिए हमारे महापुरुषों ने अपने प्राण दिए।"
नेताजी की लताड़ सुनकर वोटर शर्मिंदा हो गया और चुपचाप गर्दन नीचे करके वोट और देश नेताजी के हाथों में दे आया ।
© चिराग़ जैन
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