Friday, January 24, 2020

हो रही है थकान पानी को

किसलिए है गुमान पानी को
मारता है उफ़ान, पानी को

कुछ नमी हो तो घर हुआ जाए
ढूंढता है मकान पानी को

चैन से बैठती नहीं लहरें
हो रही है थकान पानी को

रेत में दफ़्न हो गया क़तरा
देने निकला था जान पानी को

सबके अंदर का सच बयां होगा
मिल गई गर ज़ुबान पानी को

© चिराग़ जैन

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