Short term memory loss का पुराना मरीज़।
कुछ याद ही नहीं रह पाता इसको
लिख-लिख कर
मुश्क़िल से याद रख पाता है
बड़ी से बड़ी बात
मैंने अक्सर देखा है वक़्त को
अपनी ही लिखी पर्चियों के बीच
उलझे हुए
इतिहास की किताबों में
किसी क़िरदार की
सबसे सही पहचान तलाशते हुए
सुना है
वक़्त को धोखा देने के लिये
किसी ने जला डाली थीं
कुछ पर्चियाँ
…तब से
बौराया-सा फिर रहा है बेचारा!
© चिराग़ जैन
बौराया-सा फिर रहा है बेचारा!
© चिराग़ जैन
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