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Tuesday, March 1, 2011
बेचारा ईश्वर
मैंने देखा- मूसलाधार बारिश में भीग रही थी ईश्वर की मूर्ति
मैंने सोचा- थपेड़े भी सहती होगी गर्म लू के इसी तरह।
मैंने महसूस किया- सर्दी-गर्मी-बरसात नंगे बदन कैसे खड़ा रहता है परमात्मा।
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