Saturday, August 11, 2012

बाक़ी सब ठीक है

असम जल रहा है, मुम्बई में हिंसा है, दिल्ली में हा-हाकार है …मध्य प्रदेश में बाढ़ है, राजस्थान में सूखा, सीमापार खड़े कुछ हिंदू हिंदुस्तान आने को तरस रहे हैं, हरियाणा का एक "मंत्री" फ़रार है …संसद में हंगामा हो रहा है। मीडिया भी अब चिल्ला-चिल्ला कर बाज आ चुका है। कुछ दिन राष्ट्रपति की तलाश का ड्रामा चलता है, फिर उसी हंगामे के बीच एक वफ़ादार राष्ट्रपति बनाकर बोलती बंद कर दी जाती है, कुछ लोग जंतर मंतर पर
बैठते हैं कि देश बदलेंगे, फिर कुछ दिन बाद ये कहकर उठ जाते हैं कि हम बदल गये हैं। फिर कुछ दिन उपराष्ट्रपति चुनाव का वैसा ही हल्ला मचता है, फिर किसी को उपराष्ट्रपति बनाकर बोलती बंद कर दी जाती है। बहुत दिन बाद आडवाणी जी के बयान से सोनिया जी बौखलाती हुई दिखाई दीं, लेकिन लोकसभा की कार्रवाई से इसको निकाल दिया गया और देश एक महत्वपूर्ण ड्रामा देखने से वंचित रह गया। उत्तर प्रदेश के एक मंत्री जी फ़िल्मी स्टाइल में ख़ुद को निर्दोष साबित करने के लिये इस्तीफ़ा देकर फ़रार हो गये। यू पी में करोड़ों रुपया ख़र्च कर के मायावती सरकार ने कुछ ज़िलों के नाम महापुरुषों के नाम पर रखे, अब अखिलेश सरकार ने मायावती की उस भूल को सुधारने के लिये अरबों ख़र्च करने का मन बनाया है।
किसी की किसी बात को लेकर कोई जवाबदेही नहीं है। सरकार और विपक्ष, जो पहले एक साथ चीखते थे, अब अनुशासित हो गये हैं। अब जब सरकार बोलती है तो विपक्ष सुनता है और जब विपक्ष बोलता है तो सरकार। मीडिया में सबकी फ़ुटेज का पर्सेंटेज फ़िक्स हो गया है। उस स्लैब में जिसकी जो चाहे वो बकवास करे।
टाइम बाउंड आमरण अनशन किया जा रहा है, मतलब अनशन करने वाला आश्वस्त है कि इतने समय में वो मर ही जायेगा। इमोशनल कहानी में कॉमेडी के सीन घुसाये जा रहे हैं।
बाकी सब ठीक है।
पूरा देश शंकर जी की बारात हो गया है। जिसका जो मन कर रहा है वो वैसा कर रहा है। हालाँकि कोई भी कुछ नहीं कर रहा है। कोई किसी से सेम्पल मांगते-मांगते ख़ुद एग्ज़ांपल बन गया, तो किसी का सबूत मंत्रालय में रखी फ़ाइल की तरह जल गया।
ऐसा लग रहा है कि हम सब किसी ख़राब फ़िल्म के मूक दर्शक हैं। डायरेक्टर का जब जैसा मन होता है वैसी कहानी डाल देता है, कहानी कहीं है ही नहीं, सिर्फ़ कथाएँ हैं, जिनको सुनाते वक़्त भविष्य हम सब पर ठहाका मार कर हँसेगा …वैसे इस बात की भी कोई गारंटी नहीं इस कहानी को सुनने के लिये कोई भविष्य में बचेगा भी या नहीं!

© चिराग़ जैन

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