गत दो दशक से मेरी लेखनी विविध विधाओं में सृजन कर रही है। अपने लिखे को व्यवस्थित रूप से सहेजने की बेचैनी ही इस ब्लाॅग की आधारशिला है। समसामयिक विषयों पर की गई टिप्पणी से लेकर पौराणिक संदर्भों तक की गई समस्त रचनाएँ इस ब्लाॅग पर उपलब्ध हो रही हैं। मैं अनवरत अपनी डायरियाँ खंगालते हुए इस ब्लाॅग पर अपनी प्रत्येक रचना प्रकाशित करने हेतु प्रयासरत हूँ। आपकी प्रतिक्रिया मेरा पाथेय है।
Thursday, May 29, 2025
भूमिका
यदि कोई साहित्यकार, जनता की रुचियों के लिए अपने समाज के नैतिक स्वास्थ्य को अनदेखा कर रहा है तो समझ लीजिए कि वह औषधालय का बोर्ड लगाकर हलवाई की दुकान चला रहा है।
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