Friday, June 6, 2025

फ़ुरसत

धूप इक रोज़ ढल ही जाती है 
उम्र सूरत बदल ही जाती है 
थोड़ी फ़ुरसत निकालकर देखो 
ज़िन्दगी तो निकल ही जाती है

✍️ चिराग़ जैन

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